वनस्पति विज्ञान विभाग द्वारा “चयनित औषधीय पौधों की अच्छी कृषि पद्धतियाँ” पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

अलीगढ़, 16 नवंबरः अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के बाॅटनी विभाग की शताब्दी समारोह के तहत सोसाइटी फॉर प्लांट रिसर्च के सहयोग से, 16-18 नवंबर तक “चयनित औषधीय पौधों की अच्छी कृषि पद्धतियाँ” पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित किया जा रहा है। यह संगोष्ठी राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड (एनएमपीबी), आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से आयोजित की जा रही है।
संगोष्ठी का उद्देश्य औषधीय पौधों की खेती के लिए सर्वोत्तम कृषि पद्धतियों का पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और नीति निर्माताओं को एक साथ लाना है। यह आनुवंशिक इंजीनियरिंग का उपयोग करके फाइटोफार्मास्युटिकल्स के संश्लेषण पर भी ध्यान केंद्रित करेगा, साथ ही औषधीय पौधों के क्षेत्र में विपणन रणनीतियों और ग्रामीण उद्यमिता पर चर्चा करेगा।
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए, एएमयू कुलपति, प्रोफेसर नईमा खातून ने पारंपरिक दवाओं में औषधीय पौधों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने वनस्पति विज्ञान विभाग के संकाय सदस्यों, अनुसंधान विद्वानों और छात्रों को पादप विज्ञान में उनके योगदान के लिए सराहना की, जिसके परिणामस्वरूप कई महत्वपूर्ण प्रकाशन हुए हैं। प्रोफेसर खातून ने सेमिनार की सार पुस्तक का भी विमोचन किया । उद्घाटन भाषण देते हुए, मुख्य अतिथि, डॉ आर मुरुगेश्वरन, एनएमपीबी में उप सलाहकार, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार ने विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज में औषधीय पौधों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखंकित किया। उन्होंने बड़ी संख्या में दवा कंपनियों की कच्चे माल के लिए औषधीय पौधों पर निर्भरता पर प्रकाश डाला। डॉ मुरुगेश्वरन ने पारंपरिक चिकित्सा में व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले प्रमुख पौधों जैसे टिनोस्पोरा, राउवोल्फिया और सिनकोना का उदाहरण देते हुए, औषधीय पौधों के लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय अभियान चलाने में एनएमपीबी के प्रयासों के बारे में बताया। उन्होंने सेमिनार में सहयोग करने के लिए आयुष मंत्रालय के प्रति आभार व्यक्त किया।
सेमीनार के आयोजन अध्यक्ष और वनस्पति विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर एम बदरुज्जमां सिद्दीकी ने अपने स्वागत भाषण सेमिनार को प्रायोजित करने के लिए आयुष मंत्रालय के प्रति आभार व्यक्त किया और वनस्पति विज्ञान विभाग का ऐतिहासिक अवलोकन प्रदान किया। प्रोफेसर सिद्दीकी ने औषधीय पौधों की खेती में अच्छी कृषि पद्धतियों के महत्व पर जोर दिया और विभिन्न प्रकार की बीमारियों के इलाज में पौधों पर आधारित उत्पादों की भूमिका पर बात की। उन्होंने एएमयू में जीवन विज्ञान संकाय को राष्ट्रीय स्तर पर शीर्ष रैंकिंग वाले संकाय के रूप में मान्यता का भी उल्लेख किया।
आयोजन सचिव प्रोफेसर शमसुल हयात ने अच्छी कृषि पद्धतियों के महत्व, दवा उद्योग में औषधीय पौधों के प्रभाव और मानव स्वास्थ्य की सुरक्षा के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने अत्याधुनिक अनुसंधान और नवाचारों के शोध को प्रोत्साहित किया।
मानद अधिति नेकस्ट जेन लाइफ लिमिटेड की डा नगमा अब्बासी ने औषधीय पौधों के संरक्षण पर बात की और युवा वैज्ञानिकों और छात्रों को नए कौशल हासिल करने के लिए प्रेरित किया, जो कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में नवाचारों को बढ़ावा दे सकते हैं।
कार्यक्रम का एक मुख्य आकर्षण प्रोफेसर वजाहत हुसैन को लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड प्रदान करना था, जिसमें एएमयू के वनस्पति उद्यान के विकास, अलीगढ़ की वनस्पतियों को सूचीबद्ध करने और कई विश्वविद्यालय विभागों के भूनिर्माण में उनके योगदान को सराहा गया।
सोसाइटी फॉर प्लांट रिसर्च (एसपीआर) के संस्थापक अध्यक्ष प्रोफेसर एसके भटनागर ने पादप वैज्ञानिकों के योगदान को स्वीकार करने में एसपीआर की भूमिका का अवलोकन प्रदान किया और पादप विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में प्रतिष्ठित शोधकर्ताओं को पुरस्कार प्रदान किए।
आयोजन सचिव प्रोफेसर अनवर शहजाद ने धन्यवाद ज्ञापन किया तथा कार्यक्रम को सफल बनाने में सहयोग के लिए कुलपति, आयुष मंत्रालय के अधिकारियों, एनएमपीबी तथा वनस्पति विज्ञान विभाग के कर्मचारियों के प्रति आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम का संचालन अंदलीब अंजुम और मुजना जमां ने किया।