अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में ईद मिलाद-उल-नबी मिलन समारोह का आयोजन

अलीगढ़, 16 सितंबरः ईद मिलाद-उल-नबी के अवसर पर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कैनेडी हॉल में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अतिथि वक्ता मौलाना सैयद मोहम्मद ग्यासुद्दीन मजाहिरी दारुल उलूम मकारज-ए-इस्लामी, प्रयाग राज (इलाहाबाद) के संस्थापक ने कहा कि अल्लाह ने हजरत मुहम्मद मुस्तफा को अरबों, मुसलमानों या सिर्फ इंसानों के लिए दया के रूप में नहीं भेजा बल्कि वह सारी दुनिया के लिए रहमत है। यही कारण है कि पवित्र पैगंबर ने न केवल मनुष्यों के अधिकारों की व्याख्या की है बल्कि ब्रह्माण्ड में प्रत्येक वस्तु के अधिकारों को विस्तार से समझाया और लोगों को बताया कि सबसे अच्छा इंसान वह है जिसका संबंध अल्लाह से भी मजबूत हो और उसके बंदों से भी मजबूत हो।

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छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यह सुंदरता एक दर्पण है जिसे हर समय आपके सामने रखा जाना चाहिए, और पवित्र पैगंबर के प्रति आपके मन में जितनी अधिक भक्ति और प्रेम होगा, उतना ही अधिक उनके अनुसरण की भावना पैदा होगी।

दूसरे अतिथि वक्ता मौलाना मुहम्मद मोहसिन, प्राचार्य, वसीका अरबी कॉलेज, फैजाबाद ने अपने भाषण में कहा कि उनका जीवन मानवता के लिए एक आदर्श है। दुनिया के दार्शनिकों और संतों ने पहले सिद्धांत प्रस्तुत किया और बाद में व्यवहार। जबकि पवित्र पैगंबर ने पहले अमल और बाद में सिद्धांत प्रस्तुत किया, जिसके कारण लोग उनके प्रति वफादार होते गए।

उन्होंने आगे कहा कि पैगम्बरे इस्लाम के जीवन पर जितने निबंध लिखे गए हैं, जितनी पुस्तकें लिखी गई हैं और लिखी जा रही हैं, उतनी आज तक किसी के जीवन पर नहीं लिखी गईं।कुलपति प्रोफेसर नईमा खातून ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि पवित्र पैगंबर के आगमन से पहले अरब में जो अज्ञानता और क्रूरता थी, वह पूरी तरह से दया और नम्रता में बदल गई है, क्योंकि पैगंबर ने न केवल प्यार करना सिखाया है बल्कि उन्होंने जानवरों और अन्य निर्जीव प्राणियों के प्रति प्रेम और सम्मान भी सिखाया। उन्होंने अपनी शिक्षा से अज्ञानता और अंधकार को प्रकाश में बदल दिया, साथ ही उन्होंने मनुष्यों को जो प्रेम और भाईचारे की शिक्षा दी, उसका कोई उदाहरण नहीं है।प्रोफेसर नईमा खातून ने कहा कि महिलाओं के अधिकारों को परिभाषित करके उन्हें सम्मान और प्रतिष्ठा का उच्च स्थान दिया।इससे पहले, धर्मशास्त्र संकाय के डीन प्रो. तौकीर आलम फलाही ने अतिथियों का स्वागत किया।कार्यक्रम के संयोजक, एएमयू रजिस्ट्रार मुहम्मद इमरान आईपीएस ने धन्यवाद ज्ञापन किया, जबकि नाज़िमे दीनियात प्रोफेसर मुहम्मद हबीबुल्लाह ने कार्यक्रम का संचालन किया।कार्यक्रम में बड़ी संख्या में छात्र और शिक्षक भी शामिल हुए।इससे पहले, कुलपति प्रोफेसर नईमा खातून ने विश्वविद्यालय के मौलाना आजाद पुस्तकालय के केंद्रीय कक्ष में इस्लाम के पैगंबर के जीवन से संबंधित पुस्तकों, पांडुलिपियों, कलाकृतियों और सुलेख की प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय की लाइब्रेरियन प्रोफेसर निशात फातिमा एवं विश्वविद्यालय के अन्य शिक्षक एवं अधिकारी उपस्थित थे।

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