प्रोफेसर एम.जे. वारसी का सीआईआईएल मैसूरु में व्याख्यान

अलीगढ़ 3 जूनः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के भाषाविज्ञान विभाग के अध्यक्ष और लिंग्विस्टिक सोसाइटी ऑफ इंडिया (एलएसआई) के अध्यक्ष प्रोफेसर एम.जे. वारसी ने केंद्रीय संस्थान भारतीय भाषाएँ (सीआईआईएल), मैसूरु, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित ‘भारतीय भाषाएं और एक भाषाई क्षेत्र के रूप में भारत’ सम्मेलन में एक व्याख्यान दिया।

‘भारत में भाषाई परिवारों में भाषाई विविधता और साझा भाषाई विशेषताएं’ विषय पर बोलते हुए प्रोफेसर वारसी ने कहा कि भारतीय भाषाई परिदृश्य की असाधारण विविधता इसे दुनिया भर में सबसे अधिक भाषाई विविधता वाले देशों में से एक के रूप में स्थापित करती है।

उन्होंने कहा कि भारत की विविध भाषाई संरचना में मुख्य रूप से इंडो-आर्यन, द्रविड़, ऑस्ट्रो-एशियाई और तिब्बती-बर्मन भाषा परिवारों की भाषाएं शामिल हैं। अलग-अलग भाषाओं का एक लंबा और परस्पर जुड़ा हुआ इतिहास है, और वे सामान्य भाषाई विशेषताएं साझा करते हैं। विभिन्न भाषा परिवारों से संबंधित होने के बावजूद, भारत की भाषाएँ कई विशेषताओं को साझा करने के लिए एकजुट हुई हैं जो भारत को एक भाषाई क्षेत्र बनाती हैं।

उन्होंने कहा कि यह साझा भाषाई विरासत उन संस्कृतियों और इतिहासों की समृद्ध टेपेस्ट्री के प्रमाण के रूप में कार्य करती है जिन्होंने भारतीय उपमहाद्वीप को आकार दिया है, जो इसके विविध समुदायों में भाषाई आदान-प्रदान और बातचीत की स्थायी विरासत को उजागर करती है।

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